संस्कृत भाषा संसार की सबसे प्राचीन भाषा हैं| भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का बहुत महत्व हैं| संस्कृत भाषा को दैवीय भाषा भी कहा जाता हैं|
आज हम Sanskrit Shlok, Sanskrit Quotes, Sanskrit Status, Sanskrit Messages & Sanskrit Thought ले कर आये हैं जो आपको बहुत पसंद आयेंगे|
अगर आप भी किसी को Sanskrit Shlok, Sanskrit Quotes, Shayari, Status, & Thought भेजना चाहतें हैं तो तो निचे दिए गए Best 25 Sanskrit Shlok In Hindi में से इसका चुनाव कर सकते हैं|
Best 25 Sanskrit Shlok With Meaning In Hindi – संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित
Sanskrit Shlok – संस्कृत श्लोक
#गुरुब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर
गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:
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अर्थ – गुरु हु ब्रहमा हैं, गुरु ही विष्णु हैं और गुरु ही भगवान शंकर
हैं गुरु ही साक्षात परब्रहम हैं ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूँ!!!
#ददाति पर्तिग्रह्नाती गुह्रामाख्याती प्रच्छ्ती
भुदक्त्ते भोजयते चौव षडिवध प्रितिल्क्षनम!!!
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अर्थ – लेना, देना, खाना, खिलाना, रहस्य बताना और
उन्हें सुनना ये सभी ६ प्रेम के लक्षण हैं!!!
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Easy Sanskrit Shlok – संस्कृत के आसान श्लोक
#उद्देमन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा!!!
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अर्थ – कोई भी काम मेहनत से ही पूरा होता हैं बैठे बैठे हवाई
किले बनाने में नहीं अर्थात सिर्फ सोचने से नहीं ठीक उसी
प्रकार सोते हुए शेर के मुँह में हिरण खुद नहीं चला जाता!!!
#क्षणश: कणशस्शैव विध्यामर्थ च साधयेत
क्षणे नष्टे कुतो विद्या कण नष्टे कुतो धनम!!!
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अर्थ – एक एक क्षण गवाये बिना विद्या ग्रहण करनी
चाहिए और एक एक कण बचा करके धन इकट्ठा
करना चाहिए क्षण गवाने वाले को विद्या कहाँ
और कण को शुद्र समझने वाले को धन कहाँ!!!
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सुप्रभात मंगल श्लोक हिंदी अर्थ सहित – Mangal Shlok With Meaning
#नीरक्षीरविवेक हंस आलस्य त्वं एंव तनुषे चेत
विश्वस्मिन अधुना अन्य:कुल्व्रतम पालयिष्यति क:
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अर्थ – ऐ हँस, यदि तुम दूध और पानी में फर्क करना छोड़
दोगे तो तुम्हारे कुलव्रत का पालन इस विश्व में कौन
करेगा यदि बुद्धिमान व्यक्ति ही इस संसार में अपना
कर्तेव्य त्याग देंगे तो निष्पक्ष व्यवहार कौन करेगा!!!
#प्रथिव्यां त्रिणी रत्नानी जल्मन्न्म सुभाषितं
मुढे: पाधानखंडेषु रत्नसंज्ञा विधीयते!!!
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अर्थ – इस धरती पर तीन रत्न हैं जल, अन्न और शुभ वाणी
पर मुर्ख लोग पत्थर के टुकड़ो को रत्न की संज्ञा देते हैं!!!
घमंड पर संस्कृत श्लोक
#वाणी रसवती यस्य, यस्य श्रमवती क्रिया
लक्ष्मी:दान्वती यस्य, सफल तस्य जीवित!!!
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अर्थ – मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन उसका आलस्य हैं
परिश्रम जैसा दूसरा कोई अन्य मित्र नहीं होता
क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता!!!
#यानि कानी च मित्राणी कर्तव्यानी शतानि च
पश्य मूषिकमित्रेण कपोता: मुक्तबन्धना:!!!
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अर्थ – छोटे हो या बड़े, निर्बल हो या सबल, अधिक से अधिक
संख्या में मित्र बना लेना चाहिए क्योंकि न जाने किसके
द्वरा किस समय कैसा काम निकल जाए!!!
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Shlok In Sanskrit – संस्कृत में श्लोक हिंदी अर्थ सहित
#अन्यायों पार्जित वितं दस वर्षानि तिष्ठति
पाछे चैकादशेवर्ष समूल तद विनश्यति!!!
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अर्थ – अन्याय या गलत तरीके से कमाया हुआ धन दस वर्षो तक रहता
हैं लेकिन ग्यारहवे वर्ष वह मूलधन सहित नष्ट हो जाता हैं!!!
#आदाय मांसमखिल स्त्नवर्जमंगे माँ मुनच वागुरिक
याही कुरु प्रसादम अदधापी शष्पकवलग्रहणानभिज्ञ:
मदतरमनचलद्रष: शिशवो मदिया:!!!
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अर्थ – हे शिकारी! तुम मेरे शरीर के प्रत्येक भाग को काटकर अलग कर
दो लेकिन बस मेरे दो स्तनों को छोड़ दो क्योंकि मेरा छोटा बच्चा
जिसने अभी घास खाना शुरू नहीं किया हैं बे बड़ी आकुलता से मेरी
प्रतीक्षा कर रहा होगा अगर मैं उसे दूध नहीं पिलाऊँगी तो वह निश्चित
रूप से मर जायेगा तो कृपया मेरे स्तनों को छोड़ दो!!!
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प्रेरणात्मक श्लोक – Shlok Arth Sahit
#गजाननं भुतगणादिसेवित कपित्थजम्बुफलाचारू भक्षणम
उमासुतं शोकविनाशकारक नमामि विघेश्वरपादपकड्जम!!!
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अर्थ – जो हाथी के समान मुख वाले हैं, भुतगणादी से सदा सेवित
रहते हैं,कैथ तथा जामुन फल जिनके लिए प्रिय भोज्य हैं,
पार्वर्ती के पुत्र हैं तथा जो प्राणियों के शोक का विनाश करने
वाले हैं, उन विघेश्वर के चरण कमलों में नमस्कार करता हूँ!!!
#दुर्जन: परिहर्तव्यो विद्यालंकृतो सन
मणिना भुषितो सर्प: किमसो न भयंकर!!!
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अर्थ – दुष्ट व्यक्ति यदि विद्या से सुशोभित भी हो अर्थात
वह विध्यावानभी हो तो भी उसका परित्याग कर देना
चाहिए जैसे मणि से सुशोभित सर्प क्या भयंकर नहीं होता!!!
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प्रेम पर संस्कृत श्लोक – Love Sanskrit Shlok
#स्वस्तिप्रजाभ्य: परिपाल्यनता न्यालेंन मार्गेन महि महिशा:
गोबहनेभ्य: शुभमस्तु नित्य लोका: समस्ता: सुखिनों भवन्तु!!!
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अर्थ – सभी लोगो की भलाई के लिए कानून और न्याय के
साथ शक्तिशाली नेता हों सभी विकलांगो और विदद्वानो
के साथ सफलता हो और सारा विश्व सुखी हो!!!
#ते पुत्रा ये पितुभक्ता: स: पिता यस्तु पोषक:
तन्मित्र यत्र विश्वास: सा भार्या या निर्वती!!!
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अर्थ – पुत्र वही हैं जो पिता का भक्त हैं, पिता वही हैं जो पोषक हैं,
मित्र वही हैं जो विश्वासपात्र हों, पत्नि वही हैं जो ह्रदय को आनन्दित करे!!!
ज्ञान पर संस्कृत श्लोक – Shlok Sanskrit Mein
#यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत
अभ्युत्थानमधम्रस्य तदात्मानं सर्जाम्य्हम!!!
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अर्थ – हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की
वृद्धि होती हैं, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ
अर्थात साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ!!!
Shlok In Sanskrit – संस्कृत में श्लोक
#प्रथमे नार्जिता विद्या दितिये नार्जित धनम
तृतीये नार्जितं पूण्य चतुर्थ कीं करिश्यसी!!!
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अर्थ – यदि जीवन के प्रथम भाग में विद्या, दुसरे में धन
और तीसरे में पूण्य नहीं कमाया तो चोथे भाग में क्या करोगे!!!
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Sanskrit Shlok With Hindi Meaning – संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित
#येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल:
तेन तवाम अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल!!!
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अर्थ – दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे
उसी तरह से यह रक्षा सूत्र तुम्हें बांधती हूँ, हे रक्षा
तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना!!!
Motivational Sanskrit Shlok – प्रेरणादायक संस्कृत श्लोक
#आलस्य कुतो विद्या अविध्स्य कुतों धनम
अधनस्य कुतो मित्रम अमित्रस्य कूट: सुखम!!!
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अर्थ – आलसी के लिए ज्ञान कहाँ हैं, अज्ञानी मुर्ख के लिए
धन कहाँ हैं गरीब के लिए दोस्त कहाँ होते हैं और
दोस्तों के बिना कोई कैसे खुश रह सकता हैं!!!
Sanskrit Shlok With Meaning – संस्कृत श्लोक अर्थ सहित
#न पूण्य न पाप न सोख्य न दुःख न मंत्रो न तीर्थ न वेदों न यज्ञ
अहं भोजन नैव भोज्य न भोक्ता चिदानन्द रूप शिवोह शिवोहम!!!
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अर्थ – न मैं पूण्य हूँ, न मैं पाप हूँ, न सुख और न दुःख, न मंत्र, न तीर्थ,
न वेद और न यज्ञ, मैं न भोजन हूँ, न खाया जाने वाला हूँ और न
खाने वाला हूँ, मैं चैतन्य रूप हूँ, आनन्द हूँ, शिव हूँ, शिव हूँ!!!
#परित्रनाया साधुनाम विनाशाय च दुश्क्र्ताम
धर्मसंस्थानार्थाय सम्भावमी युगे युगे!!!
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अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, साधू और संत पुरुषो की रक्षा के लिए,
दुष्कर्मियों के विनाश के लिए और धर्म की स्थापना हेतु मैं युगों युगों
से धरती पर जन्म लेता आया हूँ!!!
31 Best Shringar Shayari In Hindi 2021
Sanskrit Mein Shlok – संस्कृत में श्लोक
#कर्मण्येव्राधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन
मा कर्म्फलाहेतुर्भुर्मा ते संदोद्स्बकर्माण!!!
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अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं की अर्जुन, कर्म करना तुम्हारा अधिकार
हैं परन्तु फल की इच्छा करना तुम्हारा अधिकार नहीं हैं कर्म
करो और फल की इच्छा मत करो अर्थात फल की इच्छा किये
बिना कर्म करो क्योंकि फल देना मेरा काम हैं!!!
Sanskrit Shlok – संस्कृत के श्लोक
#न कन्याया पिता विद्वान गर्हियात – शुल्कम अणु
अपि ग्रहण-शुल्क हि लोभेन स्यां नरो अपत्यविक्रयी!!!
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अर्थ – विद्वान पिता, कन्यादान में कुछ भी उसके बदले में मूल्य न लेवें
यदि लोभ से कुछ ले लेता हैं तो वह संतान को बेचने वाला होता हैं!!!
Sanskrit Ke Shlok – छोटे संस्कृत श्लोक
#विवेक्ख्यार्तिरविप्लवा हानोपाय:
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अर्थ – निरंतर अभ्यास से प्राप्त निश्चल और निर्दोष विवेकज्ञान का उपाय हैं!!!
Thought In Sanskrit – कर्म पर संस्कृत शलोक
#यस्य पुत्रों बशीभुतो भार्या छंदानुगामिनी
विभवे यस्य संतुष्टिस्तस्य स्वर्ग इहैव हि!!!
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अर्थ – जिसका पुत्र आज्ञाकारी हो, पत्नी वेदों के मार्ग पर चलने वाली
हो और जो वैभव से संतुष्ट हो उसके लिए यही स्वर्ग हैं!!!
45 Best Music Status In Hindi 2021
Sanskrit Quotes With Meaning – संस्कृत में सुविचार
#नाशयत्येश वै भुत तदेव स्रजती प्रभु
पायत्येष तपत्येश वर्षत्येष गभस्तिभी!!!
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अर्थ – हे रघुनन्दन! ये भगवान सूर्य ही संपूर्ण भूतों का संहार, स्रष्टि
और पालन करते हैं ये अपनी किरणों से गर्मी पहुंचाते और वर्षा भी करते हैं!!!
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